कविता संग्रह >> क्या खोया क्या पाया क्या खोया क्या पायाअटल बिहारी वाजपेयी
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
‘‘राजनीति ने अटलजी की काव्य रसधारा को भले अवरुद्ध किया हो लेकिन काव्य ने उनकी राजनीति को बड़ी गहरी संवेदना से सँवारा है। दोनों के समन्वय को देखने-परखने की उनकी दृष्टि बिल्कुल साफ है। इतना ही नहीं, वे साहित्य को अधिनायकवादियों तक पर अंकुश का एक कारगर ज़रिया मानते हैं। उन्होंने कहा है : ‘‘साहित्य और राजनीति के कोई अलग-अलग खाने नहीं है। ...जब कोई साहित्यकार राजनीति करेगा तो वह अधिक परिष्कृत होगी। कहीं कोई कवि यदि डिक्टेटर बन जाए तो वह निर्दोषों के खून से अपने हाथ नहीं रँगेगा।’’
कवि-प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी की चुनी हुई कविताएं और उनके व्यक्तित्वपर विस्तृत आलेख प्रसिद्ध लेखक-सम्पादक कन्हैयालाल नंदन द्वारा।
कवि-प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी की चुनी हुई कविताएं और उनके व्यक्तित्वपर विस्तृत आलेख प्रसिद्ध लेखक-सम्पादक कन्हैयालाल नंदन द्वारा।
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